द गर्ल इन रूम 105
सफ़दर ने मेरा फोन देखने के लिए ले लिया। मैंने कहा, 'जारा हमेशा ही लिट्रेचर फेस्टिवल्स में जाया करती थी। वह कसौली में गई थी, बेंगलुरू में गई
थी, कोलकाता भी गई थी। और जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में तो पांच साल पहले हम दोनों साथ गए थे।
“मैंने ये तस्वीरें नहीं देखी थीं, सफ़दर ने धीमी आवाज़ में कहा। फिर उन्होंने स्क्रीन को हल्के से छूकर तस्वीरों को एनलार्ज किया। 'तुम्हें ये कैसे मिली?" 'ये उसने इंस्टाग्राम पर पोस्ट की हैं। पूरी दुनिया इन्हें देख सकती है, मैंने कहा।
सफ़दर ने अपने आंसू पोंछ लिए। 'आई मिस माय गर्ल, सो मच उन्होंने कहा।
जारा के फ्यूनरल के उलट यहां पर सफ़दर बहुत ही कमजोर और मायूस लग रहे थे। तो जारा के क़ातिलों को ढूंढने में हमारी मदद कीजिए, मैंने कहा।
उन्होंने सिर हिला दिया।
"तुम नहीं समझते। हम लोग मुसलमान हैं। लोग शुरुआत ही हम पर शक करने से करते थे। तुमने भी तो यही किया था। तुमने सोच लिया कि मैं अपनी बेटी को मार सकता हूँ।"
सौरभ और मैं एक-दूसरे को देखने लगे। 'अंकल, जब तक क़ातिल का पता नहीं लग जाता, सभी शक के दायरे में हो सकते हैं, मैंने कहा।
"अगर पुलिस ने जारा के कत्ल की कड़ी तेहरीक़ से जोड़ दी तो उसे टेररिस्ट कहकर बुलाया जाएगा और मुझको भी क्योंकि सभी पैसे वाले मुसलमान कारोबारी दहशतगर्दों के हमदर्द होते हैं. हैं ना
उन्होंने हैरत से मेरी ओर देखा।
तबाह कर दिया। उन्हीं की हरकतों के कारण आज मुल्क के सभी अच्छे मुसलमानों पर दाग लग गया है। उन्होंने
"तो क्या आप भी हैं?" मैंने बिना किसी अहसास के साथ कहा। 'तुम्हारा दिमाग़ ख़राब हो गया है क्या? मुझे इन आतंकवादियों से सख्त नफरत है। उन्होंने मेरे कश्मीर को
मेरी बेटी को मार डाला। उन्हें पैसा देना तो दूर, मैं किसी को पैसा देकर उन सभी को मरवा देना चाहूंगा, उन्होंने कहा। उनकी आवाज गुस्से से भरी हुई थी।
सौरभ और मैं चुप रहे। सफ़दर ने खुद को संभाला, फिर बोले, एनीवे, मैं तुम लोगों के लिया क्या कर सकता है, ताकि तुम मुझ पर शक करना बंद कर दो? ऐसा नहीं है कि मैं कुछ जानता हूँ। जो भी
लोगों ने किया है।'
*अंकल, आपने कहा कि जारा का रूम वैसा ही है, जैसा वह छोड़ गई थी, मैंने कहा। "हां।" "अगर हम उसके कमरे की छानबीन करें तो आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं होगा, मैंने कहा।
जारा का रूम इतना बड़ा था कि मालवीय नगर का हमारा पूरा अपार्टमेंट उतना बड़ा नहीं होगा। उसके बीच में फ़ोर-पोस्टर लकड़ी का बेड था, जिस पर नीली कढ़ाई वाला सिल्क बेडस्प्रेड बिछा था। उसके साइडबोर्ड पर अनेक फ्रेम की हुई तस्वीरें थीं। एंटीक फर्नीचर के कारण वो रूम राजस्थान के किसी टॉप हेरिटेज होटल के जैसा लग रहा था। अगर हल्के रंग के परदों को छोड़ दें तो कई साल पहले जब मैं यहां आया था, तब से अभी तक उसके रूम में ज्यादा बदलाव नहीं आया था। यहां तक कि फूलों की कढ़ाई वाला कार्पेट भी अभी तक वहीं था। 'हम उसके रूम की रोज़ सफाई करवाते हैं, ' सफ़दर ने कहा 'वो जैसे आज भी इसी रूम में है।'
मैंने फ्रेम की हुई तस्वीरों पर नजर दौड़ाई। उनमें से अनेक अपनी फैमिली के साथ बिताई गई छुट्टियों की
थीं। एक तस्वीर रघु के साथ थी, जिसमें वे दोनों इंडिया गेट पर हाथों में हाथ लिए खड़े थे। मैंने ज़ारा के बचपन
की एक तस्वीर भी देखी। उसमें वो अपने पिता के पास खड़ी थी और उसके साथ एक छोटा लड़का और ट्रेडिशनल
कश्मीरी काफ्तान पहने एक औरत थी।
"क्या वो सिकंदर है?" मैंने कहा। "हो और वो मेरी एक्स-वाइफ़ फरजाना है,' सफ़दर ने कहा 'मेरे अतीत से जुड़ी एक यही तस्वीर इस घर